शरभावतार आकाश भैरव(Sharabheshwar)

भगवान शंकर के षष्ठ अवतार शरभावतार

का स्वरूप आधा मृग तथा शेष शरभ पक्षी (आठ पैरों वाले शेर से भी शक्तिशाली ) का था। इस अवतार में भगवान शंकर ने नृसिंह भगवान की क्रोधाग्नि को शांत किया था| भगवान शरभेश्वर की दो शक्ति- माता शूलिनी और माता प्रत्यांगिरा हैं जो भगवान के दोनो पंखो पर विराजमान हैं।

श्री विद्या माता ललिता की उपासना मात्र से भगवान शरभ और माता प्रत्यांगिरा की भक्तों पर विशेष कृपा रहती हैं और वे भयानक तांत्रिक एवं अन्य प्रयोगों या भय से रक्षा करते हैं।भगवान को आकाशभैरव भी कहते हैं।भगवान शरभ अति उग्रस्वरूप हैं तभी वे भगवान नृसिंह को शांत कर पाए थे। तंत्रमें शरभ जी बड़ी महिमा हैं परंतु उनको साधने वाले सच्चे साधक बहुत दुर्लभ हैं🙏🌺🙏

गुरुदेव श्री अच्युतानंदनाथ (काशी के कौल भट्टजी) जो श्री विद्या काशी पाशुपत परम्परा के २४१ वे ज्योतिर्धर थे भगवान शरभेश्वर और बटुक भैरव वारंवार उनके साथ देखे गए हैं

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