गुरुत्यागाद् भवेन्मृत्युर्मंत्रत्यागाद्यरिद्रता |
गुरुमंत्रपरित्यागी रैरवं नरकं व्रजेत् || ‘गुरु का त्याग करने से मृत्यु होती है, मंत्र को छोड़ने से द्ररिद्रता आती है और गुरु व मंत्र क त्याग करने से रौरव नरक मिलता है |’
- गुरु गीता
शिवे रुष्टे गुरुस्त्राता गुरौ रुष्टे न कश्चन |
लब्ध्वा कुलगुरुं सम्यग्गुरुमेव समाश्रयेत् ||
शिवजी रुष्ट हो जायें तो गुरुदेव बचानेवाले हैं, पर गुरुदेव रुष्ट हो जायें तो बचानेवाला कोई नहीं अतः सदा गुरुदेव के शरण में रहें|