चतुषाम्नाय चतुष्पीठ
१ » पूर्वाम्नाय – गोवर्धनमठ – विमलापीठ
प्रथमआचार्य » श्रीपद्मपादजी
सम्प्रदाय » भोगवार
क्षेत्र » पुरुषोत्तम
देवता » श्रीजगन्नाथ
मठ की देवी » विमला
तीर्थ » महौदधि
महावाक्य » ‘प्रज्ञानं ब्रह्म’
वेद » ऋग्वेद
गोत्र » कश्यप
संन्यासी » वन तथा अरण्य
ब्रह्मचारी » प्रकाश
वर्तमानशंकराचार्य » श्री निश्चलानन्दसरस्वतीजी (१४५ वें शंकराचार्य)
२ » पश्चिमाम्नाय – शारदामठ – भद्रकालीपीठ
प्रथमआचार्य » श्रीहस्तामलक
सम्प्रदाय » कीटवार
क्षेत्र » द्वारका
देवता » सिद्धेश्वर
मठ की देवी » भद्रकाली
तीर्थ » गोमति
महावाक्य » ‘तत्त्वमसि’
वेद » सामवेद
गोत्र » अविगत
संन्यासी » तीर्थ और आश्रम
ब्रह्मचारी » स्वरूप
वर्तमानशंकराचार्य » श्री स्वरूपानन्दसरस्वतीजी (७८ वें शंकराचार्य)
३ » उतराम्नाय – ज्योतिर्मठ – पूर्णागिरिपीठ
प्रथमआचार्य » श्री तोटकाचार्य
सम्प्रदाय » आनन्दवार
क्षेत्र » बदरिकाश्रम
देवता » श्री मन्नारायण
मठ की देवी – पूर्णागिरि
तीर्थ » अलकनन्दा
महावाक्य » ‘अयमात्मा ब्रह्म’
वेद » अथर्ववेद
गोत्र » भृगु
संन्यासी » गिरि, पर्वत तथा सागर
ब्रह्मचारी » आनन्द
वर्तमानशंकराचार्य » श्री स्वरूपानन्दसरस्वती जी
४ » दक्षिणाम्नाय – शृङ्गेरीमठ – कामाक्षीपीठ
प्रथमआचार्य » श्री सुरेश्वर
सम्प्रदाय » भूरिवार
क्षेत्र » रामेश्वर
देवता » श्रीवाराह
मठ की देवी » कामाक्षी
तीर्थ » तुंङ्गभद्रा
महावाक्य » ‘अहं ब्रह्मास्मि’
वेद » यजूर्वेद
गोत्र » भूर्भुवः
संन्यासी » सरस्वती, भारती एवं पुरी
ब्रह्मचारी » चैतन्य
वर्तमानशंकराचार्य » श्री भारती तीर्थ जी (३६ वें शंकराचार्य)
साभार – ब्रह्मचारी अरविन्दप्रकाशः
✍️..विराट भट्ट पुराणोपासक