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Rudra is in the process of upasna of Devi’s forms of MahaVidhyas (Great Knowledge) and their different facets of the wisdom areas of the universe and humans, macrocosm and microcosm respectively. He regards himself life time learner, truth seeker and potential contributor to the universe. He aspire to spread the great knowledge of his Guru Parampara and Gurumandal. He also loves to read on wisdom, spiritual, Hinduism (Sanatan Dharma) especially Tantra and trans-national issues affecting public life. He is Shri Vidya Upasak-Shakta (Shakti worshipper).

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श्रीकालभैरवाष्टकं

आज कालाष्टमीके पावन अवसर पर आदि शंकराचार्य रचित श्री कालभैरवाष्टकं ॐ देवराजसेव्यमानपावनाङ्घ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरमनारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरंकाशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥ १॥ भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परंनीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम ।कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरंकाशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥२॥ शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणंश्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम ।भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियंकाशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥३॥ भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहंभक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम ।विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिंकाशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥४॥ धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकंकर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम ।स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलंकाशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ५॥ रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकंनित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरञ्जनम ।मृत्युदर्पनाशनं … Continue reading श्रीकालभैरवाष्टकं

शक्तिपीठ उत्पत्ति कथा

शक्तिपीठ उत्पत्ति कथा उनके नाम एवं महात्म्य भाग ५श्रीमद्देवीभागवत स्कंध ७ अध्याय ३०संकलन – हिरेन त्रिवेदी,’क्षेत्रज्ञ’ छगलण्डे प्रचण्डा तु चण्डिकामरकण्टके।सोमेश्वरे वरारोहा प्रभासे पुष्करावती॥७३देवमाता सरस्वत्यां पारावारा तटे स्मृता।महालये महाभागा पयोष्ण्यां पिङ्गलेश्वरी॥७४वे देवी छगलण्डमें ‘प्रचण्डा’, अमरकण्टकमें | ‘चण्डिका’, सोमेश्वरमें ‘वरारोहा’, प्रभासक्षेत्रमें | ‘पुष्करावती’, सरस्वतीतीर्थमें ‘देवमाता’, समुद्रतटपर ‘पारावारा’, महालयमें ‘महाभागा’ और पयोष्णीमें ‘पिंगलेश्वरी’ नामसे प्रसिद्ध हुईं ।। ७३-७४ … Continue reading शक्तिपीठ उत्पत्ति कथा

क्या भगवान शिव को अर्पित नैवेद्य ग्रहण करना चाहिए?

क्या भगवान शिव को अर्पित नैवेद्य ग्रहण करना चाहिए? सौवर्णे नवरत्नखण्ड रचिते पात्रे घृतं पायसंभक्ष्यं पंचविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम्।शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलंताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु॥ शिवमानसपूजा “मैंने नवीन रत्नजड़ित सोने के बर्तनों में घीयुक्त खीर, दूध, दही के साथ पाँच प्रकार के व्यंजन, केले के फल, शर्बत, अनेक तरह के शाक, कर्पूर … Continue reading क्या भगवान शिव को अर्पित नैवेद्य ग्रहण करना चाहिए?

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